वेद सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• मानव धरà¥à¤® के अधिकारिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ व आदिसà¥à¤°à¥‹à¤¤
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Manmohan Kumar AryaDate
30-Jan-2016Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
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UmeshUpload Date
01-Feb-2016Download PDF
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संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ करें तो यह सà¤à¥€ à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ व सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ कलाकार की रचनायें अनà¥à¤à¤µ होती हैं। संसार à¤à¤° में सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की दो आंखे, दो कान, नाक, मà¥à¤‚ह, गला, शिर, वकà¥à¤·, उदर, कटि व पैर पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¤• समान ही हैं। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि वह अपने बनाने वाले को जाने, उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करें, उससे कृतजà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ हों। यही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ वा मानवधरà¥à¤® का आधार व मà¥à¤–à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है। आज का मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ है। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तो अपनी चरम अवसà¥à¤¥à¤¾ पर आ पहà¥à¤‚च है परनà¥à¤¤à¥ यदि धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बात करें तो आज à¤à¥€ संसार में इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अधिकांशतः कृपणता ही दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होती है। संसार मे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मत जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रूढ़ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® कह देते हैं, 5 या 6 हैं। इन सà¤à¥€ मतों वा धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लोग वा विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व कृतितà¥à¤µ आदि पर समान विचार नहीं रखते अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ इनमें परसà¥à¤ªà¤° कà¥à¤› समानतायें व कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आतà¥à¤®à¤¾ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है अतः विचारों में अनà¥à¤¤à¤° व à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है। इसके साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का यह à¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है जिन विषयों में परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हो, उस पर सदà¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• परसà¥à¤ªà¤° संवाद करें और यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• से सतà¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ कर उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करें। परनà¥à¤¤à¥ हम देखते हैं कि सà¤à¥€ मतों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व आचारà¥à¤¯ न तो à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विचार वाले विषयों पर परसà¥à¤ªà¤° संवाद कर चरà¥à¤šà¤¾ व निरà¥à¤£à¤¯ ही करते हैं और न ही अपने ही मत व पनà¥à¤¥ के à¤à¥€à¤¤à¤° विचार, चिनà¥à¤¤à¤¨ कर अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ की कसौटी पर कसते हैं। अनà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी, अपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤‚गिक व मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के सà¥à¤§à¤¾à¤° व संशोधन की उनसे अपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं की जा सकती। इसके विपरीत यही देखा जाता है कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मत व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अथवा विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अपनी सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आंखें बनà¥à¤¦ कर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करता है व वैसा ही आचरण करता है। इसी को अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, मिथà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° कह सकते हैं। मतों के इस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से उनके अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उपकार होने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अपकार ही होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ को जानकर सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने और असतà¥à¤¯ को छोड़ने के लिठही हà¥à¤† है। सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ से मानव की सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है और à¤à¤¸à¤¾ न करने से à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कोई कितनी ही कर ले परनà¥à¤¤à¥, धन, समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• साधनों से, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व परलोक की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कदापि समà¥à¤à¤µ नहीं है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ तथा कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के परिणामों के आधार पर अपनायी व सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° की जाती है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ देशों के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व सामानà¥à¤¯à¤œà¤¨ सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं, इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के धरà¥à¤® के सà¤à¥€ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के आधार पर निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होने के साथ समसà¥à¤¤ संसार में à¤à¤• व समान होने चाहिये। धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सामाजिक, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ विषयक सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• रूप से निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ होकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ कब इनको अपनायेगा, कहा नहीं जा सकता। वह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® के निरà¥à¤£à¤¯ में जितना विलमà¥à¤¬ करेगा उसके इस कारà¥à¤¯ से दोह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त व सामाजिक हानि होना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मननशील होकर सतà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करना व उसी सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— का अनà¥à¤•à¤°à¤£ व अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करना ही उसका मà¥à¤–à¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ वा धरà¥à¤® होने के साथ उसके लिठलाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है।
संसार के सà¤à¥€ मतों व धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में वेद सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ है। वेद किसी विषय व वसà¥à¤¤à¥ आदि को जानने अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को कहते हैं। यदि वेद धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं तो हमारा मà¥à¤–à¥à¤¯ धरà¥à¤® सतà¥à¤¯ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही कहा जा सकता है। पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ किससे होती है? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से नहीं अपितॠईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संसार की रचना को करने से होती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ नियमों व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज करते हैं। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में जितने à¤à¥€ नियम हैं उनका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वह सà¤à¥€ नियम हमारी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि से ही संसार में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं व कारà¥à¤¯ कर रहे हैं। इनमें से अनेक नियमों का बीज रूप में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ काल से ही विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। हमारे ऋषियों ने वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर संसार में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ सà¤à¥€ नियमों को जाना था और इसके साथ ही जीवातà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को à¤à¥€ जाना व समà¤à¤¾ था। वह जानते थे कि जीवातà¥à¤®à¤¾ को सतà¥à¤¯ का आचरण करने के साथ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठयजà¥à¤ž आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करना है जिससे अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¤¯ से वह मृतà¥à¤¯à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर जनà¥à¤® मरण के दà¥à¤ƒà¤– रूपी अà¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सके। à¤à¤•à¤¾à¤‚गी विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को विकसित कर, उससे सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ और यà¥à¤¦à¥à¤§ की विधà¥à¤µà¤‚शक सामगà¥à¤°à¥€ बनाकर यह लकà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं किया जा सकता था। अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ जीवन के महतà¥à¤µ को जानकर अपने जीवन व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ किया था। यदि गति के नियमों की बात करें तो हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को खगोल जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· का उचà¥à¤š कोटि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था। इसके आधार पर वह वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ ही à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में होने वाले सूरà¥à¤¯ व चनà¥à¤¦à¥à¤° गà¥à¤°à¤¹à¤£ की तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ गणना के साथ खगोल के अनेकानेक रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचित थे। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ रोगों से मानव जीवन की रकà¥à¤·à¤¾ का शासà¥à¤¤à¥à¤° व विदà¥à¤¯à¤¾ है। इसका à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में पूरà¥à¤£ विकास हà¥à¤† था। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में अकाल व अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में मृतà¥à¤¯à¥ बहà¥à¤¤ कम हà¥à¤† करती थीं। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद का समय अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ न होकर उससे पूरà¥à¤µ का समय अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¤ है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से अनेकानेक तीवà¥à¤° गति से चलने वाले रथ वा यान à¤à¥€ हà¥à¤† करते थे। हमारे पूरà¥à¤µà¤œ समà¥à¤¦à¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤‚े à¤à¥€ करते थे। अरà¥à¤œà¥à¤¨ की पतà¥à¤¨à¥€ उलोपी तो पाताल वा अमेरिका की निवासी थी। वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पाराशर अमेरिका में काफी समय तक रहे, इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मिलता है। अतः पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का विकास अपनी चरम अवसà¥à¤¥à¤¾ में रहा है, इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से मिलता है। इन परा व अपरा विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विकास वेदों के आधार पर हमारे ऋषियों ने किया था। अतः वेद मानव धरà¥à¤® सहित सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ करते हैं और अपने अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ को यह सामथà¥à¤°à¥à¤¯ व बौदà¥à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त व संगठित रूप से अनेक विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को विकसित कर सकें।
धरà¥à¤® का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आचरण से होता है। आचरण यदि सतà¥à¤¯ पर आधारित है तो वह धरà¥à¤® और इसके विपरीत अधरà¥à¤® कहलाता है। सतà¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ के लिठलकà¥à¤·à¤£ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के आधार पर निरà¥à¤£à¤¯ किया जाता है। वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि यह परा व अपरा विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं सहित मानव के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ है जिसकी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• बात ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ होने से सतà¥à¤¯ की कसौटी पर à¤à¥€ खरी है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन काल में संसार के सà¤à¥€ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को खà¥à¤²à¥€ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ दी थी कि वह उनसे मिलकर किसी à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• विषय में शंका समाधान सहित शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर सकते है। किसी मत व उसके आचारà¥à¤¯ में उनसे शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ व साहस नहीं हà¥à¤†à¥¤ जिन लोगों ने उनसे वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª व चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कीं, उनको उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरà¥à¤£ सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ किया था। यह मानव जीवन की अपनी विशेषता ही है कि अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सिदà¥à¤§ सतà¥à¤¯ बातों को न मानकर उसके विपरीत असतà¥à¤¯ व तरà¥à¤•à¤¹à¥€à¤¨ बातों को ही मानते व आचरण में लाते हैं। इस मानव सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ बदलना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤§à¤¾à¤° करना शायदॠसमà¥à¤à¤µ नहीं है। यदि à¤à¤¸à¤¾ होता तो संसार में केवल à¤à¤• मत होता और लोगों में जिन विषयों पर à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती, उसका समाधान परसà¥à¤ªà¤° वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª व गोषà¥à¤ ी करके सदà¥à¤à¤¾à¤µ पूरà¥à¤µà¤• हो जाता। परीकà¥à¤·à¤¾ करने पर वेद ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पूरà¥à¤£ सिदà¥à¤§ होते हैं। अनà¥à¤¯ मतों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि उनकी बहà¥à¤¤ सी बाते सतà¥à¤¯ हैं व अनेक सतà¥à¤¯ नहीं हैं। नाना मतों में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ इन असतà¥à¤¯ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बातों पर उन-उन मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को विचार व चिनà¥à¤¤à¤¨ कर उनका सà¥à¤§à¤¾à¤° व संशोधन करना चाहिये। इसका संकेत व दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन काल में किया था और उनमें से कà¥à¤› का संकलन नमूने के तौर पर सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में किया है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल से पूरà¥à¤µ à¤à¥€ यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रही है। इसी कारण महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° 1.96 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में कोई वेदों से इतर नया मत असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में नहीं आया था। à¤à¤¾à¤°à¤¤ का बौदà¥à¤§, जैन व पौराणिक मत हो या विदेश के अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मत, यह सà¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° के उस काल मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में आये जब वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ असà¥à¤¤ व विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गया था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से वेदों के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज की और उसे देश-देशानà¥à¤¤à¤° के लोगों के लिठउपलबà¥à¤§ करा दिया। वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप से वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में वेद ही संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• à¤à¤• मातà¥à¤° धरà¥à¤® है। वेद में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥‚लक à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कोई बात नहीं है। किसी कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ व असमानता का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ वेद से नहीं हà¥à¤† और न ही वेद में à¤à¤¸à¥€ कोई बात है। देश-विदेश के सà¤à¥€ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से दूर होने व उनके अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कारण उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚ हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ को जानकर उसका गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर व आचरण में लाकर ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž, परोपकार, परसेवा, à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के काम करके मृतà¥à¤¯à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना वा जनà¥à¤® मरण से छूटकर मोकà¥à¤· के आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करना है। यह केवल वैदिक धरà¥à¤® की शरण में आने व उसके अनà¥à¤°à¥à¤ª आचरण व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने से ही समà¥à¤à¤µ हो सकता है। संसार के सà¤à¥€ लोग, मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर अपने जीवन को सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— पर चलाने के साथ अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ कर सà¤à¥€ धरà¥à¤®-अरà¥à¤¥-काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करें, यही धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है। यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि वेद सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• मानव धरà¥à¤® के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। आईये, वेदों की शरण में चले और कृतकारà¥à¤¯ हों।
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